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मंगलवार, 3 मई 2011

एक अनुरोध ....


एक अनुरोध ....



आजकल गर्मियाँ अपने चरम पर हैं। उफ ऐसी भीषण झुलसा देने वाली गर्मी न कभी देखी न सुनी। माँए अक्सर इस चिंता में रहती हैं कि ऐसी झुलसती गर्मी में बच्चे बाहर न खेलें। और कभी मजबूरी में बाहर जाना भी पड़ जाए तो मुंह सिर आदि ढक कर पानी की बोतल साथ लेकर ही जाएं। अब सोचिये हम अपने व अपने बच्चों के लिये तो इंतजाम कर लेंगे क्योंकि हमारे पास साधन हैं पर क्या पशु पक्षी ऐसा कर पाएँगे। उन बेचारों को इस विकराल गर्मी से कौन बचायेगा। चिलचिलाती धूप में अपने नन्हें नन्हें बच्चों के लिये दाना-चोगा लेने जाना उनकी मज़बूरी है। और पक्षी बेचारे तो आकाश में उड़ते हैं जहाँ सूरज उन्हें और ज्यादा भयावह लगता है। आज की तारीख में तापमान 45 डिग्री से0 से ऊपर है। और असंख्य पक्षी इस भीषण गर्मी में झुलस कर जान दे देते है व उनके बच्चे दाने की इंतजार में भूख से जान दे देते हैं। 

तो ऐसे मैं क्या करें? मेरी आप सबसे यही प्रार्थना है कि अपनी छत पर, बाल्कनी में, आँगन में, मुँडेर पर, जहां भी बन पड़े एक बर्तन पानी भर कर अवश्य रक्खें। शायद आपके ऐसा करने से किसी को जीवन दान मिल जाये। ये एक नेक काम है और इसे करने से हमारा पैसा या समय कुछ भी खर्च नहीं होता। बस एक भावुक मन की जरूरत है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरे इस अनुरोध पर अवश्य ध्यान देंगे और पूरा भी करेंगे। 
धन्यवाद
प्रकाश टाटा आनन्द

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