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सोमवार, 29 अगस्त 2011

नव भारत टाइम्स से...

भाई जी, अन्ना तो चले गए पर अपना रूटीन बिगाड़ गये.. सुबह उठते ही रामलीला मैदान पहुँचना, अन्ना  की रसोई से गरमा गरम नाश्ते के बाद पालिटिक्स  पर चर्चा करना,  नारेबाजी, देशभक्ति का जोश....  पर अब फिर वही पार्क की सैर करनी होगी।

------ प्रद्यूत व आलोक भदौरिया.

रविवार, 21 अगस्त 2011

एक छोटी सी, पर बहुत बड़ी बात......


19 अगस्त 2011
एक छोटी सी, पर बहुत बड़ी बात......
आज क्या कई दिनों से आफिस में काम करने का माहौल बन ही नहीं पा रहा है। जिसे देखो केवल अन्ना की ही बात कर रहा है। इंटरनेट पर भी टी.वी लाईव में पल पल की खबरें देखी जा रही हैं।

आज दोपहर के 1 बजे थे। हम सब खाना खाकर हटे ही थे कि सड़्क से आवाजे आने लगी, उत्सुकतावश हम भी कोपरनिकस मार्ग पर आ गये। सुना था कि अन्ना राजघाट से इंडिया गेट आएंगे। बस हम भी चल दिये इंडिया गेट की ओर। मंडी हाउस से पैदल मार्च करते हुए इंडिया गेट पहुँच ही थे कि झमाझम बारिश होने लगी। सभी लोग पेडों के नीचे शरण लेने लगे। हम भी वहीं खडे हो गये। 10 – 15 लडके युवा लडके भी खडे थे। वही पर एक पुलिस का बेरिकेट गिरा पडा था। बारिश से बचने के लिये लोगो की संख्या बढ्ती जा रही थी। तभी एक लडका उस बेरिकेट पर चढ़ गया, पर ये क्या उसके साथी उसके पीछे पड गये अबे ये क्या कर रहा है, ये सरकारी सम्पत्ति है। अगर ये टूट गया तो ? अन्ना ने कहा है कि हमें किसी सरकारी सम्पत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना हैं। बस क्या था जो भी उस बेरिकेट पर चढा था, सभी उतर गये।

ये है अन्ना की फौज !!! ये वही जवान हैं अपनी जवानी के जोश में नाक में दम कर देते हैं, कालेज में हड़ताल हो तो बसे जला डालते हैं, यहाँ अन्ना तो उन लडकों को नहीं देख रहे थे । पर मजाल है कि कोई भी लडका कुछ शैतानी करता दिखाई दे। इसे क्या कहेंगे आप, जरा सोचिये?
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