© लेखक की लिखित अनुमति के बिना इस ब्लाग में छ्पी किसी भी कविता, कहानी अथवा लेख का कहीं भी और किसी भी प्रारूप में प्रयोग करना वर्जित है।

सोमवार, 28 जून 2010

पानी का दर्द.....

आता है याद मुझको
तुम्हारा अपनी आँखों से
मेरी आँखों के जरिये
मेरे अन्तर में उतर जाना
और झकझोर देना
मेरा तन मन
और फिर
इस तरह मुस्कराना
जैसे कोई ठहरे पानी में
फैंक कंकरी
लहरों का प्रलाप देखे
पर तुम्हें क्या,
तुम्हारा तो ये खेल है
बीतती तो उस शांत पानी पर है
जो बरसों से उर में तूफान छिपाये
पड़ा था प्यासे की राह में
सोचा था लुटा देगा सर्वस्व
प्रिय की चाह में
बीतती तो उस पानी पर है
जिस पर लगती है कंकरी......

---------------प्रकाश टाटा आनन्द



-----------
इस कविता को 90 के दशक में साप्ताहिक हिन्दोस्ताँ पत्रिका में महोदया मृणाल पाण्डे जी के सरंक्षण में मुद्रित होने का अवसर प्राप्त हुआ।

रविवार, 20 जून 2010

लहर का किनारा

पितृ दिवस पर मेरी यादों के झरोखे से:

कभी कहीं कुछ ऐसा घट जाता है
लहर जिससे मिलने आती है
वो किनारा ही हट जाता है

मीठी मधुर ठंडी पवन
झकझोरती है तन मन
वो ही उठा कर आग
सब जला डालती है
एक मंदिर झर जाता है
एक बाग उजड़ जाता है । लहर जिससे .................

कोई निकटतम व्यक्ति अपना
एक स्वप्न बन जाता है
और फिर नींद नहीं आती
करवट बदल बदल कर
समय, असमय कट जाता है
वक्त बदल जाता है । लहर जिससे .....................

शाम की मुंडेर पर
बैठा नीरस सूरज
अचानक डूब जाता है
एक अटूट विश्वास
सा जम जाता है
तब दीपक अचानक
बुझ जाता है । लहर जिससे ...................

कभी-कभी हृदय
भावनाओं से
इतना भर जाता है
कि असह्य हो जाता है
जहाँ भी जाओ
हर आदमी अपना
साथी नजर आता है । लहर जिसके .................

-------प्रकाश टाटा आनन्द

उपरोक्त कविता कि रचना 18.10.1995 में मेरे हृदय से निकली । मन व्याकुल था और तभी एक पुस्तक में किसी की रचना पढी "कभी कहीं कुछ ऐसा घट जाता है नदी जिसके भरोसे होती है वो किनारा ही कट जाता है"
बस मेरा मन भी व्यवहल  हो गया पिता को बिछ्ड़े अभी एक महीना ही हुआ था और क्या लिखू .........

रविवार, 13 जून 2010

स्वीकार है मुझे लेकिन ......


 अब आगे पढ़िये ..... 

दिन भर की तू-तू मैं-मैं अब रात के सायों को भी छूने लगी थी। सास-ननद के फैशन बढ़ते जाते हैं, प्रिया की किताबों में सिनेमा की टिकटें और किसी न किसी लड़के की फोटो अक्सर पाई जाती है। संतोष उसकी शिकायत अपने पति से करती है तो उसे जाहिल गँवार कहा जाता है। और अब तो राहुल ने भी देर से  आना शुरू कर दिया है। शराब के नशे में धुत हो कर संतोष के साथ बर्बरता का व्यवहार एक नियम बन चुका है।

उधर प्रिया जिस लड़के के चक्कर में है वो प्रिया के साथ काफी दूर तक निकल चुका है। एक दिन प्रिया उससे विवाह की बात छेड़ती है, तो वह उसे कहता है अरे यार लाईफ एंजॉय करो शादी-वादी तो होती रहेगी। और उसी दिन राहुल अपनी बहन प्रिया को एक रेस्टोरेंट में यूँ झगड़ते हुये देख लेता है जो वह प्रिया के पास जाता है और उसे डाँटता है। क्योंकि वह उस लड़के के चाल चलन को भली भांति जानता है। उसके कई लड़कियों के साथ सम्बन्ध हैं। राहुल प्रिया को घर लाता है। वह गुस्से से तमतमाते हुये कहती है कि आज जब मैं जिन्दगी के इस सफर में बहुत आगे निकल आई हूँ तब आपको होश आया है। और फिर मुझे समझाने वाले आप कौन होते है। आप पहले अपने आप को सुधारिये फिर मुझे कहिये। राहुल को बहुत गुस्सा आता है वह सोचता है कि जिस बहन की उसने हर ज़िद पूरी की वही पूछती है कि आप कौन होते हो? राहुल एक कस के तमाचा जड़ देता है प्रिया के गाल पर।  और प्रिया भी गुस्से से आग बबूला होकर हाथ उठा देती है और कहती है कि भईया थप्पड़ को मैं भी मार सकती हूँ, और अपने कमरे में चली जाती है।

राहुल को प्रिया की बात काँटे की तरह चुभ जाती है वह वहाँ से तुरंत चला जाता है और एक पार्क में आकर बैठ जाता है। घण्टों बैठा रहने के बाद रात को घर पहुँचता है।  संतोष उसका इंतजार कर रही है वह उससे बात किये बिना बैडरूम में जा कर लेट जाता है। संतोष रोज की तरह उसके जूते उतारती है पर राहुल आज नशे में नहीं था फिर भी वह चुपचाप सोने का बहाना करके लेटा रहता है।

आज वह संतोष के बारे में सोचता है कि इतने दु:ख सहने के बावजूद वह निरंतर उसी तरह से सेवा करती जा रही है। उसके चेहरे पर शिकन का लेश मात्र भी निशान नही है। आज राहुल ने पी नही है न इसीलिये वह ये सब देख पाता है। संतोष जब उसके पास आकर पलंग के एक कोने में लेट जाती है पर आज राहुल अन्दर ही अन्दर रो रहा है। सोच रहा है कि इतने अत्याचार के बावजूद संतोष शांत है और जिसे उसने सबसे ज्यादा प्यार किया बचपन से उसकी हर ख्वाहिश पूरी की उसने आज जरा सा डांटने  पर अपने बड़े भाई पर हाथ उठा दिया। अब उसकी हिम्मत नही हो रही है कि वह उससे बात भी करे। रात इसी तरह करवटें बदलते-बदलते बीत जाती है। 

प्रकाश टाटा आनन्द 

शेष अगले सप्ताह .....