सम्भल कर राहे सरहद पर, कदम अपने बढाना है
मिलेगी कामयाबी मुश्किलों पर छाते जाना है
नज़ारा देखने को लायेंगें, हिम्मत कहाँ से वो
ख़बर कर दो उन्हें कि, अब शहीदी का ज़माना है
कमी आने न देंगें हौसलों में, हम किसी सूरत
सफीना डूबने से, ना ख़ुदा अपना बचाना है
हमारा कोई भी दुश्मन, जहाँ में टिक नहीं सकता
चराग़े-इश्क हर इन्सान के, दिल में जलाना है
सितारे मुल्क पर रंगीनियाँ, अपनी लुटायेंगे
अँधेरो को फ़ज़ाओं से, अभी हमको भगाना है
वो ए 'प्रकाश' हो जायेंगे, खस्ता बज़्में हसती में
जो अपने होश खो बैठे हैं, उनको मुँह की खाना है
----- प्रकाश टाटा आनन्द
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर कविता , प्रकाश टाटा जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
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लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
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