पिया से मिली, जब से सखी
घबराये, यूँ लजाये, अखियाँ
जब से पिया मेरे, मन में बसे हैं
तब से नयनवा, राह तके हैं
हुई बावरी, मैं बावरी
समझायें, यूँ सतायें, सखियाँ
लाख मनाऊँ, मन नही माने
उनसे मिलन को ढूँढे बहाने
ऐरी सखी, अब मैं चली
बीते न, उन बिन, रतियाँ
काहे सजनवा, प्रीत बढाई
न सही जाये, अब ये जुदाई
दर्द भरी इक, हूक उठी
भर आये, छलकाये, अखियाँ
लट उलझी है, ये सुलझा जा
छेड़े सखियाँ, इन्हे समझा जा
कासे कहूँ, कासे छुपाऊँ
ये सतायें, है बनायें, बतियाँ
आन मिलो अब, मोरे सजना
ले चलो अब तो, अपने अंगना
कैसे मनाऊँ, कैसे रिझाऊँ
माने न, धड़के हैं, छतियाँ
प्रकाश टाटा आनन्द