शनिवार, 18 जुलाई 2015
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निरन्तर कार्य की पुकार, अज्ञात वस्तु का ज्ञान, अप्राप्य वस्तु को प्राप्त करना, और एक डूबते हुए सितारे की तरह ज्ञान प्राप्त करना तथा प्रगति के मार्ग पर निरंतर अग्रसर होना ही मानव जीवन का सार है । यह पहला पाठ है ।
कोरे काग़ज़ पर छपे अक्षरों को हर कोई पढ़ लेता है; किन्तु काग़ज़ की सफ़ेदी को कोई नहीं जानना चाहता, जिसके न होने से अक्षरों का अस्तित्व ही समाप्त हो सकता है....प्रकाश टाटा आनन्द